क्या तुम्हे याद है, वो एक रात की बात,
जब ज़िद्द की थी मैंने, सौ गाने सुनने की,
और तुमने पूरी की वो मेरी मांग,
मुझे तो याद है, नींद में की थी मैंने गिनती।
आज भी सोचती हूँ, यादों में ग़ुम,
पता नहीं, पागल मैं थी, या तुम।
याद आ रही है….
जवानी की “interesting” सी बातें,
मेरे क़िस्से सुनकर जो बितायी थी तुमने रातें।
कभी हँस कर, तो कभी shock हो कर,
कभी दीदी बनकर, तो कभी यार बनकर।
Personality बिलकुल अलग अलग,
पर connection हमेशा गहरा,
ऐसी दोस्ती कभी न पा सकी,
जैसा था और है, तेरा मेरा ।
एक ख़ालीपन सा छा गया,
जब शादी कर तुम चली गयी,
दूल्हा ठीक-ठाक था मगर,
उसके कारण,
मेरी सखी मुझसे बिछड़ गयी।
पर अपनी ख़ुशकिस्मती तो देखो,
दूल्हा निकला full of life,
साली जीजू की दोस्ती है solid,
क्यूँ ना हो,
आख़िर मेरी best friend है उसकी wife!